
सन १९१९ में
भारतीय उपमहाद्वीप की मानचित्र। ब्रितिश साशित क्षेत्र व स्वतन्त्र रियासतों के क्षेत्रों को दरशाया गया है
सन १९४७ में आज़ादी व विभाजन से पहले
भारतवर्ष में ब्रिटिश साशित क्षेत्र के अलावा भी छोटे-बड़े कुल ५६२ स्वतन्त्र रियासत हुआ करते थे जो
ब्रिटिश भारत का हिस्सा नहीं थे। ये रियासतें
भारतीय उपमहाद्वीप के वो क्षेत्र थे जीन पर अंग्रेज़ों ने क़बज़ा नहीं किया था। ये रजवाड़े संधी द्वारा ब्रिटिश हुक़ूमत के प्रभुत्व के अधीन थे। ईन संधियों के शर्त हर राज्य के लिये भिन्न थे परन्तू मूल रूप से हर संधी के तहत रियासतों को विदेश मामले, अन्य रेज्यों से रिशते व समझौते और सेना व सुरक्षा से संबंधित विशयों की स्वतन्त्र इजाज़त नहीं थी, इन विशयों का प्रभार अंग्रेजी हुक़ूमत पर था और बदले में ब्रिटिश सरकार साशकों को स्वतन्त्र रूप से साशन करने की अनुमती देती थी।
सन १९४७ में भारत की आज़ादी व विभाजन के पश्चात
सिक्किम क अलावा अन्य सभी राज्य या तो
भारत या
पाकिस्तान अधिराज्यों में से किसी एक में शामिल हो गए या उन्हें कब्ज़ा कर लिया गया। नव स्वतंत्र भारत में
ब्रिटिश भारत की एजेंसियों को "
दूसरी श्रेणी " के राज्यों का दर्जा दिया गया(उदाहरणस्वरूप: "सेंट्रल इण्डिया एजेंसी" बन गया "
मध्य भारत राज्य")। इन राज्यों के मुखिया को
राज्यपाल नहीं
राजप्रमुख कहा जाता था। १९५६ तक "राज्य पुनर-गठन अयोग" के सुझाव पर अमल करते हुए
भारत सरकार ने राज्यों को पुनर गठित कर मौजूदा स्थिती में लाया। परिणामस्वरूप सारी रियासतों को स्वतंत्र भारत के राज्यों में विलीन कर लिया गया। इस तरह रियासतों का अंत हा गया।
सन १९६२ में
प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के साशनकाल के दौरान इन रियासतों के साशको के निजी कोशों को एवं अन्य सभी ग़ैर-लोकतान्त्रिक रियायतों को भी रद्ध कर दिया गया
सन १८५७ तक,
भारतवर्ष के सारे बड़े व शक्तिशाली साम्राज्यों और रियासतों(
मुग़ल साम्राज्य,
मराठा साम्राज्य,
अवध,
मैसूर,
सिख साम्राज्य आदि) को अंग्रेज़ों ने युद्ध या कूटनीती से पस्त कर दिया था और
भारतीय उपमहाद्वीप के ज़्यादातर हिस्सों पर अधिकार जमा लिया था। इस्के अलावा उन्होंने फ़्रान्सिसी और पुर्तगाली ईस्ट इण्डिया कंपनीयों को भी हरा कर उनका भी भारत में विस्तार रोक दिया था। १९वीं सदी के मध्य तक
ब्रिटिश साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप मैं अपनी प्रभुता व नायकत्वता(
अंग्रेज़ी:
hegemony) स्थापित कर ली थी और भारत में ख़ुद को एकमात्र नायक के रुप मैं स्थापिन कर लिया था।
१८५७ के संग्राम के बाद अगस्त १८५८ के
इलाहाबाद घोषणा के बाद ब्रिटिश सरकार ने विस्तारवादी नीती छोड़ दी और रियासतों से अब तक हुई संधि के तहत रियासतों से रिश्तों को आगे बढ़ाने की घोषणा की। रियासतों से हुए सहायक संधियों के तहत राज्यों पर
ब्रिटिश ताज अधिपत्य था और राज्यों के विदेशी मामलों और सुरक्षा के लिये ज़िम्मेदार था। संधि द्वारा रियासत के शासकों को क्षेत्रिय स्वायत्तता (राजकीय शासन संभालने की स्वतन्त्रता) परन्तु यह स्वायत्तता केवल सैद्धान्तिक थी, वास्तव में रजवाड़ों के आंतरिक मामलों में ब्रिटिशों का काफ़ी प्रभाव व हस्तक्षेप था।
ब्रिटिश सरकार हर राज्य के लिये एक स्थायी अफ़सर नियुक्त करती थी जिसे
रेसीडेंट(
अंग्रेज़ी:
Resident) कहा जाता था। "रेसिडेंट " एक राजनयिक पद्धती थी जो रजवाड़ों में ब्रिटिश सरकार के दूतों को दिया जाता था। रेसिडेंट ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त किये गए सलाहकार थे जिनका काम था रियासतों में ब्रिटिश सरकार का प्रतिनिधितव करना और शासकों के सामने ब्रिटिश हितों को रखना। १९४७ तक केवल चार राज्यों, जो सबसे विशाल और महत्वपूर्ण थे, में रेसिडेंट बचे थे जबकी अन्य सभी छोटे राज्यों समूहों में वर्गीकृत कर दिया गया। इन समूहों को "एजेंसी" कहा जाता था जेसे की "राजपूताना एजेंसी", "सेंट्रल इण्डिया एजेंसी" और "बलूचिस्तान एजेंसी"। महत्वपूर्ण राजायों को
सलामी राज्य का दरजा दिया जाता था।
१९२० में रियासतों का प्रतिनिधात्व करने के लिये "
नरेन्द्र मंडल" की स्थापना की गई जो साशकों के लिये ब्रिटिश सरकार से अपनी आशाओं और आकांशाओं को प्रस्तुत करने का एक मंच था। इस्की बैठक "
संसद भवन" के
सेंट्रल हाॅल में होती थी। इसे १९४७ में विस्थापित कर दिया गया।
१९४७ में भारत की आज़ादी के समय अंग्रेज़ सरकार ने "इण्डियन इन्डिपेंडेंस ऐक्ट" के तहत सभी रियासतों को ३ विकल्पों के साथ छोड़ा था भारत या पाकिस्तान में विलय या स्वतन्त्र रहना। अधिकतर राज्यों ने भारत या पाकिस्तान में विलय को स्वीकार कर लिया सिवाए हैदराबाद, जुनागढ़, जम्मू-कश्मीर, बिलासपुर, भोपाल और त्रावणकोर के जिन्होंने पहले आज़ाद रहने का फ़ैसला लिया था। पर बाद में इन सभी राज्यों को भारत या पाकिस्तान में मिला लिया गया। नव स्वतंत्र भारत में एजेंसियों को "
भाग-B " के राज्यों का दर्जा दिया गया (उदाहरणस्वरूप: "सेंट्रल इण्डिया एजेंसी" बन गया "
मध्य भारत राज्य")। इन राज्यों के मुखिया को
राज्यपाल नहीं
राजप्रमुख कहा जाता था। १९६२ तक "राज्य पुनर्गठन अयोग" के सुझाव पर अमल करते हुए
भारत सरकार ने राज्यों को पुनर्गठित कर मौजूदा स्थिति में लाया। परिणामस्वरूप सारी रियासतों को स्वतंत्र भारत के राज्यों में विलीन कर लिया गया। इस तरह रियासतों का अंत हा गया।
अंतिम बचा राज्य
सिक्किम को भी १६ मई १९७५ में जनमत-संग्रह के पश्चात भारत में शामिल कर लिया गया था, जिसमें सिक्किम के लोगों ने भारी मतों से इस्के लिये वोट दिया।
१९४७ में आज़ादी के समय के सियासतों की सूची[संपादित करें]
व्यक्तिगत रेसिडेंसीयों की सूचि[संपादित करें]
रियासत का नाम | रेसिडेंट | वर्तमान देशों का भाग | अंतिम साशक |
हैदराबाद | रेसिडेंसी | तेलंगाना, महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़ और कर्नटक, भारत | उस्मान अलि ख़ान, असफ़ जाह अष्टम |
जम्मू और कश्मीर | रेसिडेंसी | जम्मू और कश्मीर, भारत;
| सिपार-ए-सल्तनत, जम्मू और कश्मीर के महारज, श्रीमान राजराजेश्वर महाराजाधिराज श्री सर हरी संह इंदर महिंदर बहादुर |
मैसूर | रेसिडेंसी | कर्नाटक, भारत | श्री जयचामराजेंद्र वादियार |
सिक्किम | रेसिडेंट | सिक्किम, भारत | चोग्याल वांग्चूक् नामग्याल |
त्रावणकोर | मद्रास प्रेसिडेंसी के अंतरगत स्थाई रेसिडेंट | केरल और तमिल नाडु के 5 तालुक | त्रावणकोर के महाराज, श्री पद्मनाभ दास श्री चित्थिरा थिरुनाल बलराम वर्मा वंचि पाल महाराज मारतंड वर्मा पंचम, श्री उथ्रडोम थिरुनाल कुलशेखरा कीर्तिपती मन्नेय सुल्तान महाराज राजा रामराज बहादुर शमशेर जंग |
[2] काठीयाव़ाड एजेंसी की रियासते ।
रियासत का नाम | राज्य का पद | वर्तमान देश का भाग | अंतिम शाशक |
ध्रोल राज्य | रज़वाडा | काठीयाव़ाड,भारत  | ठाकोर साहेब श्री श्री चंद्रसिंहजी जाडेजा |
नवानगर रियासत | रज़वाडा | काठीयाव़ाड,भारत  | जाम साहेब श्री श्री शत्रुशैल्यसिंहजी जाडेजा |
राजकोट रियासत | रज़वाडा | काठीयाव़ाड,भारत  | ठाकोर साहेब श्री प्रद्युमनसिंहजी जाडेजा |
गोंडल (रियासत) | रज़वाडा | काठीयाव़ाड,भारत | ठाकोर साहेब श्री भगवतसिंहजी जाडेजा |
मोरबी रियासत | रज़वाडा | काठीयाव़ाड,भारत  | ठाकोर साहेब श्री लगधीरसिंहजी जाडेजा |
मकाजी मेधपर (रियासत) | राज्य भायाती गांव | काठीयाव़ाड,भारत  | ध्रोल राज्य |
डेक्कन राज्य एजेंसी एवं कोल्हापुर रेसिडेंसी[संपादित करें]
नाम | एजेंसी/रेसिडेंसी | मौजूदा हिस्सा | अंतिम साशक |
अक्कालकोट | रियासत | महाराष्ट्र, भारत | अक्कालकोट की रानी साहेब, श्रीमंत रानी सुमित्रा बाई राजे भोंसले |
औंध | रियासत | महाराष्ट्र, भारत | औंध के पंत प्रतिनिधी, मैहरबां श्रीमंत भगवंतराव श्रीपतराव |
भोर | रियासत | महाराष्ट्र, भारत | राजा श्रीमंत सर रघुताथराव शंकर्राव बाबासाहब पंडित पंत सचिव |
जमखंडी | रियासत | कर्नाटक, भारत | राजा साहेब श्रेमंत राजा राजाप्रणै राव परषुरामराव पटवरधन |
जंजीरा रियासत | रियासत | महाराष्ट्र, भारत | जंजिरा के नवाब, सिदि मुहम्मद ख़ान (द्वितीय) |
जथ | रियासत | महाराष्ट्र, भारत | ल्यूटेनेन्ट श्रीमंत राजा विजयसिंहराव रामराव बाबासाहेब दाफ़ले |
कोल्हापुर | रियासत | महाराष्ट्र, भारत | कोल्हापुर के महाराज, छत्रपती महाराज साहब बहादुर श्रीमंत राजश्री शाहु (द्वितीय) भोंसले |
कुरुन्दवाद (वरिष्ठ) | रियासत | महाराष्ट्र, भारत | कुरुन्दवाद वरिष्ठ के राजा श्रीमंत भालचंद्रराव चिंतामनराव पटवर्धन |
कुरुन्दवाद (कनिष्ठ) | रियासत | महाराष्ट्र, भारत | कुरुन्दवाद कनिष्ठ के राजा, राजा श्रीमंत हरिहर्राव रघुनाथराव पटवर्धन |
मुधोल | रियासत | कर्नाटक, भारत | श्रीमंत राजा भैरवसिंहराव मलोजीराव घोरपडे (द्वितीय) |
फलटण | रियासत | महाराष्ट्र, भारत | मेजर राजा बहादुर श्रीमंत राम राजे नाइक निम्बलकर |
सांगली | रियासत | महाराष्ट्र, भारत | कैप्टन श्रीमंत राजा साहेब सर चिंतामनराव (द्वितीय) धूंदिडिराजराव अप्पासाहेब पटवरधन |
सवानुर | रियासत | कर्नाटक, भारत | सवानुर के नवाब, अब्दुल माजिद ख़ान (द्वितीय) |
सावंतवाडी | रियासत | महाराष्ट्र, भारत | भोंसले कुल |
मद्रास प्रेसिडेंसी की रियासतें[संपादित करें]
उत्तर-पष्चिमी सीमांत राज्य एजेंसी के राज्य[संपादित करें]
रियासत का नाम | रायासत का पद | वर्तमान देशों का भाग | अंतिम साशक |
ख़ैरपुर रियासत | रियासत | सिंध, पाकिस्तान | ज्यौर्ज अलि मुरद ख़ान |
नाम | रेसिडेंसी/एजेंसी | मौजूदा भाग | अंतिम साशक |
बहावलपुर | रियासत | पंजाब, पाकिस्तान | नवाब सादीक़ मोहम्मद ख़ान (पंचम) |
बिलासपुर | रियासत | हिमाचल प्रदेश, भारत | बिलास्पुर के राजा कीर्तिचंद |
फ़रीदकोट | रियासत | पंजाब, भारत | फ़रीदकोट के राजा, कर्नल महामहिं फ़र्ज़न्द-ए-सादत्-ए-निशान-ए-हज़रत-ए-कैसर-ए-हिंद राजा सर हरिंदर सिंह ब्रार बंस सहब बहादुर |
जिंद | रियासत | पंजाब और हरयाणा,भारत | जिंद के महाराज, महाराजा सतबीर सिंह (राजकुमार सनी) |
कल्सिया. | रियासत | हरयाणा, भारत | राजा हिम्मत शेर सिंह साहब बहादुर |
कांगड़ा | रियासत | हिमाचल प्रदेश, भारत | राजा आदित्यदेवचंद कटोच्छ |
कपूरथला | रियासत | पंजाब, भारत | ब्रिगेडियर महाराज सर सुखजीत सिंह साहीब बहादुर, कपूरथला के महाराज |
लोहारू | रियासत | हरयाणा, भारत | लोहारु के नवाब, नवाब मिर्ज़ी अलाउद्दीन अहमद ख़ान (द्वितीय)(परवेज़ मिर्ज़ा) |
मलेरकोट्ला (रियासत) | रियासत | पंजाब, भारत | महामहिं नवाब मुहम्मद इफ़तिक़ार अली ख़ा बहादुर |
मण्डी | रियासत | हिमाचल प्रदेश, भारत |
नाभा | रियासत | पंजाब, भारत | नाभा के महाराज, महाराज श्री प्रताप सिंह मालवेन्द्र बहादुर |
पटियाला | रियासत | पंजाब, भारत | महाराजाधिराज सर यादवेंद्र सिंह महेंद्र बहादुर |
सिर्मूर | रियासत | हिमाचल प्रदेश, भारत | ल्यूटेनेन्ट महाराज राजेन्द्र प्रकाश बहादुर |
सुकेत/ सुरेंद्रनगर | रियासत | हिमाचल प्रदेश, भारत | सुकेत के राजा, हरी सेन |
तिहड़ी-गढ़वाल | ज़मीनदारी | उत्तराखंड, भारत | महाराज मनुजेन्द्र शाह साहब बहादुर |
राजपूताना एजेंसी के राज्यों की सूचि।
नाम | रेसिडेंट या एजेंट | वर्तमान भाग | अंतिम साशक |
अलवर | रियासत | राजस्थान, भारत | अलवर के महाराज, राज ऋषी श्री सवाई महाराज जीतेंद्र प्रताप सिंहजी वीरेंद्र शिरोमणीं देव भरत प्रभाकर बहादुर जीतेंद्र सिंह |
बाँसवाड़ा | रियासत | राजस्थान, भारत | बाँसवाड़ा के महारावल, राज रयान महिमेंद्र महाराजाधिराज महारावलजी साहब श्री जगमालजी (द्वितीय) बहादुर, नरेश राज्य |
भरतपुर | रियासत | राजस्थान, भारत | महाराजा ब्रजेंद्र सिंह |
बीकानेर | रियासत | राजस्थान, भारत | बीकानेर के महाराज एवं बीकानेर के शाही घराने के मुखिया, श्री राज राजेश्वर महाराजाधिराज नरेंद्र सवाई महाराज शिरोमणीं रवि राज सिंहजी बहादुर |
बूंदी | रियासत | राजस्थान, भारत | कर्नल महाराव राजा श्री बहादुर सिंहजी बहादुर |
धौलपुर | रियासत | राजस्थान, भारत | धौलपुर के महाराज राणा, महामहिं महाराजाधिराज श्री सवाई महाराज राणा श्री हेमन्त सिंह, लोकेन्द्र बहादुर, दिलेर जंग जय देव |
डूंगरपुर | रियासत | राजस्थान, भारत | डुंगरपुर के महारावल, राय-ए-रय़ान, महिमहेंद्र, महाराजाधिराज महारावल श्री महिपाल सिंहजी (द्वितीय) साहिब बहादुर |
जयपुर | रियासत | राजस्थान, भारत | महामहिं सारामद-ए-राजाहई हिंदुस्तान राज राजेन्द्र श्री महाराजाधिराज सर सवाई महाराज सवाई मान सिंह (द्वितीय) |
जैसलमेर | रियासत | राजस्थान, भारत | महाराजाधिराज महारावल सर जवाहर सिंह बहादुर |
झालावाड़ | रियासत | राजस्थान, भारत | झालावाड़ के महाराज राणा, महाराजाधिराज महाराज राणा श्री चन्द्रजीत सिंह देव बहादुर |
जोधपुर | रियासत | राजस्थान, भारत | राजराजेश्वर सरामद-ए-राजाह्-ए-हिंदुस्तान महाराजाधिराज श्री गज सिंहजी (द्वितीय) साहब बहादुर |
करौली | रियासत | राजस्थान, भारत | महाराजा श्री गणेश पाल देव बहादुर यदकुल चन्द्रभाल |
किशनगढ़ | रियासत | राजस्थान, भारत | उम्दए राजहे बुलंद मकान महाराजाधिराज महाराज सुमेर सिंहजी बहादुर |
कोटा | रियासत | राजस्थान, भारत | महाराव श्री भीम सिंह (द्वितीय) बहादुर |
कुशलगढ़ | रियासत | राजस्थान, भारत | राव हरेंद्र सिंह |
लवा-सरदारगढ़ | रियासत | राजस्थान, भारत | |
मेवाड़ | रियासत | राजस्थान, भारत | माहाराणा सर भूपाल सिंह |
तोरावटी | रियासत | राजस्थान, भारत | राव वीर विकरम सिंह तनवर |
प्रतापगढ़ | रियासत | राजस्थान, भारत | राजा अजीत प्रताप सिंह |
शाहपुरा | रियासत | राजस्थान, भारत | राजाधिराज सुदर्शन सिंह |
सिरोही | रियासत | राजस्थान, भारत | महाराव रघुबीर सिंह |
टोंक | रियासत | राजस्थान, भारत | नवाब फ़ारुख़ अली ख़ान |
गुजराती राज्य एजेंसी एवं बरोडा रेसिडेंसी[संपादित करें]
मध्य भारत एजेंसी के राज्यों की सूचि[संपादित करें]
पूर्वी राज्य एजेंसी के राज्यों की वर्गित सूचि[संपादित करें]

पूर्व
ताचेर रियासत का राजमहल
पूर्वी राज्य एजेंसी का गठन सन1933 में ओड़िसा, छत्तिसगढ़ और बिगाली राज्यों की एजेंसिसों के विलय द्वारा हुआ था। इसके अंतर्गयत ओड़िसा, छत्तिसगढ़ और बंगाल एजेंसियों (अर्थात पूर्वी भारत की सारी रियासतें) के सारे राज्य आते थे।
छत्तिसगढ़ी राज्य एजेंसी[संपादित करें]
भारत के वो राज्य जिन्हें ब्रिटिश राज ने पूरी तरह क़ब्ज़ा कर लिया था[संपादित करें]
- इन्हें भी देखें: विलय का सिद्धान्त
इन्हें भ